हमारा भी है यह संसार
हमारा भी है यह संसार
आज लगा हमको
हमारा भी है यह संसार
स्वच्छ हवा और स्वच्छ पानी
आज चखा है इनका स्वाद
आज चखा है इनका स्वाद।
मंद मंद मुस्काने लगे
दफन दिलों में खुशी के राग,
उड कर छू लूं अम्बर को
आने लगी है पंखों से भी आवाज़
आने लगी है पंखों से भी आवाज़।
पहली बार तारों को टिमटिमाते देखा
फूलों को जी भर मुसकुराते देखा,
हर डाली अभिनंदन करने लगी
बागों में भी आ गई है बाहार
पक्षी भी मनाने लगे त्यौहार
पक्षी भी मनाने लगे त्यौहार।
कितना सुन्दर है यह आकाश
फैला है चारों तरफ सूरज का प्रकाश
ताजी हवा है चारों ओर
न तो है कोई शोर
चहचाहट भी सुनाई देने लगी है
नीड़ पर खुशियाँ दस्तक देने लगी है
नीड़ पर खुशियाँ दस्तक देने लगी है।
मूक वृक्षों को भी मिल गया अधिकार
झूमने लगे हैं हवा के झोंको संग
जब से मानव ने लिया है अवकाश
नहीं हो रहा है विश्वास
कहीं यह भ्रम तो नहीं
या फिर कोई सपना
यह संसार भी है अपना
यह संसार भी है अपना।
मानव और कुछ दिन तुम
तालों में रहना
अनुशासित होकर आना बाहर
आत्मचिंतन करना और
सोई हुई मानवता को जगाना
सोई हुई मानवता को जगाना।
ताकि हमारा यह भ्रम हो सके साकार
हमारा भी है यह संसार
हमारा भी है यह संसार ।
इस वास्तविकता को भी अपनाना
हम भी है तुम्हारा ही परिवार
सिर्फ तुम्हारा नहीं है यह संसार
सिर्फ तुम्हारा नहीं है यह संसार।