समय की पुकार
समय की पुकार
यह तो समय की पुकार है
यह राष्ट्र की पुकार है
भारत माता की पुकार है
जग जननी ने तुमको पुकारा है
घर से बाहर ना आना
ऐसा संदेश निकाला है
कितनी निस्वारथी है, जग जननी
तुम्हारे हित के लिए ही पुकारा है
तुम्हारे हित के लिए ही पुकारा है
कुछ थे अब तक उदास
बिन राशि के कैसे करूँ, जन की सेवा
जाने कितने दिन आये थे,
उनके मन में ये विचार
बिन राशि के भी कर सकते हो तुम,
अपने और अपने समाज पर उपकार
आज वक्त की यही पुकार
यदि चाहते हो मानव जाति का विस्तार
तो घर से ना आना बाहर
तो घर से ना आना बाहर
हर जन को घर पर लक्षमन
रेखा बनानी है
पहले अपने को फिर ,
समाज को दिशा दिखानी है
फिर समाज को दिशा दिखानी है
दिन में बार बार अपने हाथों को धोना है
कोरोना से डरना नहीं,
ना तो रोना है
निडर होकर समाना करो,
और स्वच्छता पर ध्यान दो
समाजिक दूरी को बनाना है
इकतीस दिन घर से बाहर नहीं जाना है
समाज, राष्ट्र, और मानव जाति को बचाना है
इस कठिन परिस्थिति में,
हर जन को अपना कर्तव्य निभाना है
मानव जाति को बचाना है
कोरोना को हारना है
तो एक मूल मंत्र अपनाना है
घर से बाहर नहीं जाना है
घर से बाहर नहीं जाना है
कोरोना को हारना है।