माँ
माँ
माँ एक अद्वितीय सृजन,
उसी ने दिया ये सुंदर जीवन।
बेबस से टकटकी लगाए रहते थे नैन,
निहारती थी अपलक हो के बेचैन।
कब मिलेगा माँ का स्पर्श,
तेरी गोदी थी मेरी जन्नत।
ईश्वर का तुम अनुपम भेंट,
तुम्हीं ने दिया ये सुंदर जीवन।
जब दम न था मुझमें,
बसाया मुझे अपनी साँसों में।
थाम के नन्ही उँगली,
दुनिया दिखाई अपनी आँखों से।
सिखाया स्वयं पर करना विश्वास,
विधाता की है तू रचना महान।
क्या सुबह क्या शाम,
अर्पण किया जीवन मेरे नाम।
औलाद ही आँखों के तारे,
खुशियाँ सारी संतानों पर वारे।
हर भूल पर क्षमा करती,
पर सीख भी बड़ी सिखाती।
मायूसी में सरगम सी,
जख्मों पर मरहम है जननी।
राह के अँगारों पर पलकें बिछाती,
एक खुशनुमा शाम है सहकारी।
डाँट में भी उसके दुलार है,
ऋणी उसका सारा संसार है।
