माँ
माँ
मेरा लिखने का इरादा नही था
पर अकेलेपन ने सिखा दिया।
मेरा लड़ने का इरादा नही था
पर ज़ालिम ज़माने ने सिखा दिया।
मेरा तुझसे यूँ मिलने का इरादा बिलकुल नही था
पर कमीने यारों ने करा दिया।
मेरा तुझे यूँ छिप छिप कर देखने का इरादा नही था
पर कम्बक्त दिल ने करा दिया।
मेरा तेरे नज़दीक यूँ आने का कोई इरादा नही था
पर तेरी साँसों की खुशबू ने करा दिया।
मेरा मेरी हिचकियों से कोई वास्ता नही था
पर तेरी याद ने करा दिया।
मेरा मेरे बीते कल से कोई वास्ता नही था
पर तेरे संग बिताए लम्हों ने ने रुला दिया।
मुझे तेरा यूँ छोड़ कर जाना अच्छा नही लगा
पर तेरी ख़ुशी ने हँसा दिया।
आज खुश हूँ की तू खुश है,
पर डरता हूँ कहीं अपनी खुशी तो नही खो दी
फिर अचानक माँ का चेहरा सामने आया
और मैं मुस्कुराया
मैं खामखां बेक़रार हूँ
माँ को सिर्फ मुझसे ही प्यार है।
चल छोड़ता हूँ ये इश्क़-विश्क की दुनियादारी
अब प्यार पे सिर्फ माँ की बारी।

