उसकी चुप्पी🤐🤐
उसकी चुप्पी🤐🤐
वो चुप थी पर शायद कुछ कहना था उसको
नहीं पता कुछ भी पर शायद मेरे संग
थोड़ा और रहना था उसको।
वो चुप थी लेकिन उसके होठों में
बड़ी फड़फड़ाहट थी,
शायद किसी भूचाल की आहट थी।
मैं था वो थी और हमारी नज़रें
जो शायद सब कुछ बयान
कर रही थी।क्या सब कुछ ?
उसने कुछ कहना चाहा
लेकिन उसकी आवाज़ में
एक घबराहट थी,नहीं पता क्यों ?
क्या उसको मेरी चाहत थी ?
कुछ देर हम एक दूसरे को
देखते रहे फिर
मैंने पूछ लिया।
तुम ठीक तो हो ?
उसकी आँखें नम मैं सोच में
क्या था उसको कोई ग़म।
फिर आखिरकार उसके बोला तुम
मेरा दिल वन्दे भारत की तरह
धड़कनें लगा।
क्या वो कुछ इनकार करेगी,
नहीं वो कुछ इजहार करेगी,
नहीं वो इकरार करेगी-मेरा मन।
उसने कहा तुम नालायक हो
मैं सोच में पड़ गया
फिर वो गुस्से में बोली।
मेरा मौन व्रत तोड़वा दिए
तुम खलनायक हो
चढ़ गया 104।
मैं सोच में ये था उसके होठों का
भोचाल मेरा कर गयी ये हाल।
मैं बोला अगला मौन व्रत कब है ?
वो चुप थी शायद।

