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Nand Kumar

Inspirational

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Nand Kumar

Inspirational

मां

मां

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मां श्रृष्टि मे सब जीवों की ,

होती भाग्य विधाता ।

मां सा सुंदर सुखद मनोरम , 

दूजा नही कोई नाता ।।


गर्भ से ही बिन देखे हम पर ,

अपना प्यार दुलार लुटाती ।

अरमानो को पाल ह्रदय मे ,

सुन्दर सुन्दर ख्वाब सजाती ।।


बच्चे का मुख देख भूल , 

पीङाये सारी वह जाती ।

पाल पोस कर बङा करे ,

चलना कर पकड़ सिखाती ।।


देख देख कर वाल क्रिया ,

हंसती पाई जनु थाती ।

सन्तति का सुख सदा चाहती ,

दुख सारे सह जाती ।।


पढा लिखा कर योग्य बनाती ,

तव उन्नति को लख हरषाती ।

जीवन की हर वाधा से वह ,

आगे आकर हमे बचाती ।।


मात पिता साकार रूप है ,

जगती पर ईश्वर का ।

इन बिन पूजा यज्ञ दान सब ,

तीरथ व्रत है फीका ।।


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