माँ तू कहाँ है
माँ तू कहाँ है
माँ तेरा रूप कैसा है,
कभी न देखा तुझे
पर एक अनदेखा सा अहसास है
जैसे हर पल तू मेरे पास है
कभी आती कोई मुश्किल
माँ का नाम लेते ही
हर मुश्किल हल हो जाती
जब मैं रोती तो तू ही
मुझको चुप कराती
तेरे बिना ये जीवन सूना है
मुझे तेरी गोदी में
सर रखकर कुछ पल सोना है
ममता की गहराई जो
अथाह, अपरिमित सी है
जिसको कोई न माप सका
आज मेरे अंतस में उठते कई प्रश्न हैं
भावों के बादल बरस –बरसकर
पूछते है सबसे
क्यों बिन माँ का जीवन है
तपिश मन की हर पल
कहती है तुमसे एक बार मिला दे
हे ईश्वर एक बार मिला दे
एक बार मिला दे
