माँ तुम्हें शत शत नमन
माँ तुम्हें शत शत नमन
नौ माह जो शिशु को उदर में पोषती निज रक्त से,
पल पल मरण पीडा सहन कर जन्मती जो कष्ट से।
फ़िर देख निज संतान को नदियाँ भरें जिसके नयन,
आओ कहें मिलकर सभी हे माँ तुम्हें शत शत नमन।
बचपन खिला जिसके निकट जो ले खुशी से झूमती,
करती हमें बहु प्यार अपने हृदय से धर चूमती।
भाता न शिशु के मुख सिवा जिसको न कोई तरु सुमन,
आओ कहें मिलकर सभी हे माँ तुम्हें शत शत नमन।
हम करें नादानियाँ पर उसे जो हँस कर सहे,
खुशियाँ सदा हम पर लुटाये मौन हो हर दुख सहे।
आठों प्रहर कल्याण की बच्चो के जो करती मनन,
आओ कहें मिलकर सभी हे माँ तुम्हें शत शत नमन।
जो हमारे भाग्य के बाधाओं से लड़ने खड़ी,
मांगे दुआ भगवान से या फिर उन्हीं से जा अड़ी।
जो न छोड़े साथ चाहे शत्रु हो सारा भुवन,
आओ कहें मिलकर सभी हे माँ तुम्हें शत शत नमन।
