माँ तुम अमृत
माँ तुम अमृत
माँ तुम अमृत, हम उसके अभ्यर्थी,
लुटा देती हो हम पर सब कुछ अपना कभी न सोचती!
प्यार से पाला-पोसा हमें, दिए निर्मल संस्कार,
मार्ग दिखाया सच्चाई का, कभी ना किया इज़हार!!
दी सारी खुशियां हमको तुमने, माँगा ना बदले में उपहार!!
माँ तुम अमृत !!
देखी दुनिया तुम्हारी आँखों से, ईश्वर नहीं पर माँ देखी है,
कहाँ से लाती इतनी हिम्मत, कैसे करती सारे काम?
फिर भी खुश रहती प्रति पल, करती सबकी खुशियों के इंतज़ाम!!
प्यारी भारत माता से भी, मिलता हमें प्यार अविराम !!
माँ तुम अमृत..!!
लेते आज प्रतिज्ञा हम सब ,झुकने ना देंगे शीश तुम्हारा,
अखिल भारतवर्ष हमारा, तेरा मेरा का ना कोई काम!
विश्व-बंधुत्व अपनाकर हम, सभी को अपना मित्र बनाएं!
फैलाकर भाईचारा, भारत देश स्वर्ग बनाएं!!
माँ तुम अमृत !!
जान लुटा देंगे हम तुम पर, वतन ना लुटने देंगे हमारा,
अखिल भारतवर्ष हमारा, तेरे मेरे का ना कोई काम!
विश्व-बंधुत्व अपनाकर, सभी को अपने गले लगाएं,
धर्म-भाषा, जाति भुलाकर, हिंदुस्तान स्वर्ग बनाएं !!
माँ तुम अमृत !!