मां सर्वदा हितकारी है
मां सर्वदा हितकारी है
मां हमसे करती है स्नेह अपार,
इस स्नेह का ऋण सकें न उतार।
मां अनमोल दौलत हमारी है,
अपने संसार की।
मां सर्वदा हितकारी है,
अपने संसार की।
इस जगत में आने से पहले,
मां के सानिध्य में हम हैं रहते।
दूर जग सभी मुसीबतों से ,
निश्चिंत उदर में हम महफूज रहते।
निज लहू से सींच वह हमको,
हरती हर बाधा वह संसार की।
मां अनमोल दौलत हमारी है,
अपने संसार की।
मां सर्वदा हितकारी है,
अपने संसार की।
माता होती कुमाता कभी न,
अनेक पूत कपूत भले हो जाएं।
नौ माह रहे जिंदा जिसके लहू पर,
कई वर्ष दूध पीकर के उसका बिताए।
कृतघ्नता में जीवन हैं बिताते,
चिंता उसकी नहीं, करते हैं निज परिवार की।
मां अनमोल दौलत हमारी है,
अपने संसार की।
मां सर्वदा हितकारी है,
अपने संसार की।
माता है रूप ईश्वर का होती,
ईश्वर से जरा सा कमतर नहीं है।
ईश्वर सम पूजें मां को हमेशा,
जग से चली गई तो फिर अवसर नहीं है।
पितु-मात दो तन मगर जान इक हैं,
आराध्य शक्ति हैं अपने संसार की।
मां अनमोल दौलत हमारी है,
अपने संसार की।
मां सर्वदा हितकारी है,
अपने संसार की।
मां हमसे करती है स्नेह अपार,
इस स्नेह का ऋण सकें न उतार।
मां अनमोल दौलत हमारी है,
अपने संसार की।
मां सर्वदा हितकारी है,
अपने संसार की।