"मां नर्मदा"
"मां नर्मदा"
मैया मोरी अमरकंटक बारी,
रेवा जग न्यारी।
अमरकंटक से निकली मैया,
चली पश्चिम की ओर।
घाट-घाट स्थान बनायें,
मच रहों कितनों शोर।
मैया अमर-------
मण्डला से अब चल दीं मैया,
पहुंची भेड़ाघाट।
संगमरमरी चट्टान विराजी,
कितने सुन्दर पाट।
मैया--------
मैया जी वरमान पै पहुंची,
भक्तन करी पुकार।
सोकलपुर में फिर मैया की,
हो रही जय-जयकार।
मैया--------
साधु संत सब ध्यान लगावे,
पहुंचे तेरे द्वार।
नर-नारी सब करें परिक्रमा,
होवें बेड़ा पार।
मैया--------
