माँ की याद
माँ की याद
बारिश की पहली बूँद
माँ की याद ले आई
जब हथेली पर
उस बूँद को लेकर
माँ से पूछा था
माँ कैसी
लग रही है यह
माँ ने कहा था
जिसकी प्रतीक्षा हो
और वह अनायास
मिल जाए तो
खुशियों की
पराकाष्ठा की
सीमा नहीं रहती
यह एक किसान से
पूछ कर देखो
जिसे बारिश का
कितनी बेसब्री से
इंतजार होता है
उस समय यह बातें
बहुत ज्यादा समझ
न आई थी
पर माँ कह रही है
तो सब ठीक ही होगा
इस विश्वास के साथ ही
बस हाँ में सिर
हिला दिया था
पर बाद में
उन बातों का
अर्थ समझ में आया
कि माँ मुझे
क्या समझाना
चाहती थी
माँ इस बारिश की
पहली फुहार में
खो सी गई हूँ
और बस सामने
तुम्हारा ही चेहरा है।