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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

माँ की पीड़ा

माँ की पीड़ा

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मेरे कोख में आने की खबर सुनकर मुस्कुराई थी, 

मेरी पहली धड़कन जो तुझ में तुझ से ही धड़की थी, 


मध्यम मध्यम सा प्रकाश तेरी रोशनी का साया था, 

सबसे छुपाकर बड़े नाजों से मुझे कोख में पाला था, 


जहाँ ना कोई दुख की छांव सिर्फ ममता का घेरा था, 

एक सुंदर सी नाल से बेल की भांति जुड़ा हुआ था , 


प्रसव पीड़ा का वह असहनीय दर्द कैसे तुमने सहा था, 

नौ माह तक गर्भ में रख अपने रक्त से मुझे सींचा था, 


मुट्ठी भींचें जोर से जब तू चीख़ चीख़कर चिल्लाई थी, 

इतने असहनीय दर्द को भी सहकर तू नहीं घबराई थी, 


जन्म दिया मुझे जाने कितनी वेदना और पीड़ा सही, 

इतनी पीड़ा के बाद भी मुझे देखकर तू मुस्कुराई थी, 


बहुत प्यारी थी तेरी कोख जहाँ मेरा पहला बसेरा था, 

बाहर आया और आंख खुली तो देखा तेरा चेहरा था,


और तब मेरे प्रथम क्रंदन पर तू फूली नहीं समाई थी, 

सूनी सी बगिया में माँ तूने एक नन्हीं कली खिलाई थी, 


दर्द को भूलकर तूने अपने कलेजे से मुझे लगाया था, 

फिर प्यार से हाथ फेरकर आंचल में अपनी छुपाया था।


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