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Shayra dr. Zeenat ahsaan

Inspirational

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Shayra dr. Zeenat ahsaan

Inspirational

मां खुदा को माना लेती है

मां खुदा को माना लेती है

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मौत के पंजों से बच्चों को छुड़ा लेती हैं

मां दुआ करके खुदा को भी मना लेती हैं


मुफलिसी, ग़ुरबतों,इफ्लास के फांके सहकर

पेट की आग को पानी से बुझा लेती है


अपने मां बाप की खिदमत से बुजुर्गों की दुआ

हर कदम पर मुझे आफ़त से बचा लेती हैं


जब भी चलती हैं हवा तेज मुझे लगता है 

मां मुझे अब भी कलेजे से लगा लेती हैं


क़ौम वो राहे हिदायत से भटकती ही नहीं

जो भी किरदार को आइना बना लेती हैं


टिक ही पता नहीं मैदान में दुश्मन ज़ीनत

जब भी औरत कोई तलवार उठा लेती हैं।


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