मां बस नाम ही काफी हैं
मां बस नाम ही काफी हैं
यहीं कहीं रहो तुम
करीब मेरे
जब अतीत का सहारा चाहते हैं
आंखे भीगी सी तुम्हारी
तुम तब भी मेरे साथ होती हो मेरी मां
जैसे मैं तुम्हें छू पाता हूँ
अहसास पा सकता हूँ तुम्हारा
कर सकता हूँ महसूस
ध्वनि पदचाप की तुम्हारी
जब ये अधर कुछ
फ़रियाद करते हैं
तो जैसे
तुम सुनती हो मेरी ध्वनि
बिन कहे मान लेती हो
मेरी हर बात
और मैं खुश हो जाता हूँ
किसी चंचल बच्चे क़ि तरह
तुम सामने नहीं आती माँ
मैं छूना चाहता हूँ
तुम्हारा आँचल
देखना चाहता हूँ
वो ममता भरी आँखें
समेटना चाहता हूँ
तुम्हारी मुस्कान
सुनो माँ
कहीं जाना नहीं छोड़कर
बस यूँ ही रहो मेरे आसपास
अहसास बनकर
मेरा साथ और विश्वास बनकर
तुम रहो करीब मेरे।