माॅं (कुंडलियां)
माॅं (कुंडलियां)
माँ के कितने रूप हैं, जननी जग आधार।
प्रेम सदा सब से करे, माॅं के जैसा प्यार।।
माँ के जैसा प्यार, नहीं कोई है दूजा।
सभी करें गुणगान, यही है सच्ची पूजा।।
माँ से सुंदर और, नहीं कोई है इतने।
नए नए अवतार, रूप हैं माँ के कितने।।