लॉकडाउन: एक पति की व्यथा
लॉकडाउन: एक पति की व्यथा
लॉकडाउन से भई मेरा तो सत्यानाश हुआ,
ऑफिस का बॉस घर में पत्नी का दास हुआ,
झाड़ू पोछा बर्तन अनुभव मेरा खास हुआ,
पत्नी कहती है देखो पप्पू मेरा पास हुआ।
घर से काम के दौर में जब पत्नी के पास हुआ,
ऑफिस में मौज था करता उसको अहसास हुआ,
बर्तन ना धोऊं तो समझो यारों उपवास हुआ,
लॉकडाउन नहीं जैसे यह मेरा वनवास हुआ।
मित्रों से मिलना तो जैसे, अवसर कुछ खास हुआ,
पत्नी देखे दिन भर, दूभर मित्रों से परिहास हुआ,
उपयोग हो मेरा पूरा बस सबका ये प्रयास हुआ,
होता हूं यूं प्रयोग जैसे कोई चम्मच गिलास हुआ।
लॉकडाउन में मेरा तो केवल बस उपहास हुआ,
घर आंगन ही इस पंछी का सारा आकाश हुआ,
जब बोला कोई कोरोना वैक्सीन का विकास हुआ,
पिंजरे से 'प्रखर' उड़ पाएगा अब तो ये विश्वास हुआ।
