लोकतंत्र या गणतंत्र
लोकतंत्र या गणतंत्र
बहुत बार लूटा गया
सोने की चिड़िया था हमारा देश।
गुलामी की जंजीरों में जकड़ा गया
हमारा वैभवशाली देश।
क्या थी कमी रह गई जो इतनी विपदा सहनी थी पड़ी।
आक्रमणकारी आते रहे
हम उन्हें भगाते भी रहे
लेकिन अपना बहुत कुछ लुटाते भी रहे।
भारतवासी आज भी सोने का दिल रखता है।
खुद को मिले ना मिले लेकिन
परोपकार जरूर करता है।
यह हमारे संस्कारों की शक्ति ही तो थी।
जो करोना काल में सब ने देखी।
आपस में प्रेम देखा, परमात्मा पर विश्वास देखा,
प्रत्येक नागरिक को मुफ्त में लगा टीका, मिला भोजन
सबका लोकतंत्र पर विश्वास देखा।
लेकिन फिर भी बहुत कुछ है जो हम को बदलना ही पड़ेगा।
भले की जनसंख्या कितनी ही हो लेकिन
एक नियम और एक कानून हो सबके लिए हो
जिसका सख्ती से पालन करवाना ही पड़ेगा।
देश हमारा सर्वोपरि है उससे ऊपर कुछ भी नहीं है
देश हित को ध्यान में रखकर
कुछ नियमों में भी बदलाव लाना ही पड़ेगा।
समय बदला है संसाधन बड़े हैं
प्रत्येक संसाधन का प्रत्येक नागरिक
उपयोग कर पाए कुछ ऐसा ही इस गणतंत्र में।
नियमाधारित करवाना ही पड़ेगा।
अपने देश पर गर्व करें सब
अपने देश में सुरक्षित रहे सब।
अपने देश के हित की खातिर
संस्कारों को तो बचाना ही पड़ेगा।
झंडा ऊंचा रहे हमारा देश हमारा सबसे प्यारा
अपने देश के झंडे के आगे तो
नमन करते हुए सबको सर झुकाना ही पड़ेगा।