STORYMIRROR

Sukant Kumar

Inspirational

3  

Sukant Kumar

Inspirational

लोकतंत्र का पिंजरा

लोकतंत्र का पिंजरा

1 min
166

शैतानों की साज़िश है,

इतने नियम-क़ानून बना दो,

की कोई शरीफ बच ना सके,

फिर वे अपना गुणगान ख़ुद गायेंगे।


तब हम पछतायेंगे और पूछेंगे,

किससे पूछ कर ये क़ानून बनाया था,

एक काग़ज़ी जवाब आएगा -

“लोकतंत्र है, जनाब! आप ही तो राजा हो।”

 

तो ज़ाहिर है जनाब,

ये क़ानून हमने ही ना जाने,

किसके इशारों पर बनाया था, 

अब हमें ख़ुद नहीं पता -


“कब और कैसे?”

हम पिंजरे में क़ैद हो गये।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational