तराज़ू
तराज़ू
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बिक जाना तो लाज़मी है,
इस मुकम्मल जहान में,
यहाँ तो संतों और फ़क़ीरों कि,
भी नीलामी होती है,
ख़याल बस इतना रहे,
अपनी क़ीमत को,
अपने जीवन की खुमारी,
और ख़ुशियों की गठरी से,
किसी तराज़ू पर तौल लें,
अपनी क़ीमत को पहचान,
पूर्ण तसल्ली के बाद ही,
अपनी बोली का पैग़ाम दें।