STORYMIRROR

Sukant Kumar

Abstract

3  

Sukant Kumar

Abstract

कहानी

कहानी

1 min
156


क़िस्से बदल जाते हैं,

कहानियाँ नहीं बदलती।


किरदार बदल जाते हैं,

उनकी फ़ितरत नहीं बदलती।


हालात बदल जाते हैं,

परिस्थितियाँ नहीं बदलती।


हर साल मंजर बदल जाते हैं,

उनकी ख़ुशबू नहीं बदलती।


जीवन की जंग बदल जाती है,

उस पर जीत के फ़साने नहीं बदलते।


और जो बदल जाते हैं,

उन पर कहानियाँ नहीं बनती।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract