लोकाचार
लोकाचार
लोक व्यवहार
लोकाचार, नैतिक आचार
निर्वहन हेतु रहो तैयार।
हृदय में क्षोभ, अधर मुस्कान,
लोकाचार की यही पहचान।
सुख में शामिल ना हो पाए,
दुख में लेकिन हो जरूर।
कुछ परिपाटी हमें ना भाती,
पर समाज को है मंजूर।
सामाजिक प्राणी है चूंकि,
कट न सके समाज से,
लोक व्यवहार निभाना होगा,
यथाशक्ति संसार से।
सु संस्कृति, सभ्यता, मानवता का
परिचायक यही,
लोक व्यवहार की भूमिका,
निभाये जो सही।