लोक व्यवहार नेक रिवाज़
लोक व्यवहार नेक रिवाज़
ना मिले किसी से इतना, कि वो प्यार ही ना रहे।
दूर इतना भी ना रहे, की बेकार कहलाये
अपने व्यवहार को कुछ, इस तरह बना
लिया हमने।
की हमको कोई बुरा कहे, ऐसा ना कुछ
किया हमने
अपने व्यवहार में मिठास, इतनी भी ना घोली।
की उसे चापलूसी का नाम मिला
और ना इतनी कड़वाहट मिलाई की
घमंड का कोई मेडल मिला
जब भी मिले संयम बना के रखा
बुरा कहे इससे पहले ही, उसे अपना कहा
साथ ना दे कोई भले ही पर
अपनी भलाई का दामन ना छोड़ा
दिया संस्कार अपने बड़ों ने कुछ ऐसा
की दर्द दूसरों को होए तो क्यों
अपनी आँखें भी रोये....
दो पल की जिंदगी है, दोस्तों
ना हम रोये ना तुम रोये
