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Arun Gondhali

Comedy

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Arun Gondhali

Comedy

लंबी नौकरी

लंबी नौकरी

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उसका कोई गुनाह नहीं,

वह खुद बोल रही थी 

ना कर नाकरी (नौकरी)।


वह दस थे पढ़े-लिखे और नौ ने गुलामी करली, 

उसी दिनसे वह नौकरी नामसे मशहूर हो ली।


केरियर की चाहमें फंसता गया,

दिनरात बॉसको कोसता गया,

वह अपनी ऐ सी केबिनमें मस्त था,

बाहरवाला टार्गेट एचिव करनेमे त्रस्त था।


बात इंक्रीमेंटकी जब हुई

तो बोला परफॉर्मेंस ठीक नही भाई,

कंपनीका प्रॉफिट बढ़ा नही।

अबे सा.... ! इस साल नई गाड़ी और

ऐ सी केबिन तूने कैसे पाई ?


कॉरपोरेट खेल खेले जाते है,

आंकड़े यहाँसे वहाँ किए जाते है, 

गिनतीमे अच्छे गधे जानबूझ

नज़र अंदाज़ किए जाते हैं,

ताकि अटके रहे, 

लटके रहे, 

अगले अप्रेजल तक, 

या कुछ साल तक,

इसे कंपनी एच आर मैनेजमेंट कहते है भाई।


उम्मीद में कई साल बीत गए,

रिटायरमेंट तक पहुंच गए,

मन भरा नहीं था उनका रिटायरमेंट के बाद

भी खुन चूसने का,

कुछ दिन मुझे और सस्तेमें रोकनेका।


पहली बार होशियार, होनहार, फिट जैसे शब्द सुने,

अनुभवी लोग कंपनी चाहती है,

मस्का रिक्वेस्ट सुने।


आपकी रिक्वेस्ट सर- आंखों पर,

प्रेजेंट सेलरी बढ़ा दो सर,

सुनते ही बॉसकी नानी मर गई,

कन्हैयालाल सा हँसके बोला, 

कंपनी नियमसे कांट्रेक्ट करते है, 

आधी सेलरी तो दिलाके रहूंगा डील फिक्स करते है,

आज पता चला बूढ़े अनुभवी खून की यह नई क़ीमत है भाई।


अचानक 'घरज्ञान' प्रगट हुआ,

नौकरीको ना कह कर निकल आया।


ज्ञात हुआ कुछ जिम्मेदारीथी बीबीके प्रति,

अकेले घर-कुटुंब संभाले थी सालों से

बिना सेलरी, उसकी क्या गलती ?


निवृत्त हबीको बीवी ने प्रेम चुम्मी से सहलाया,

अब बाकी जिंदगी डार्लिंग तुम्हारे साथ जिएंगे यह प्रण किया,

जिंदगी में पहली बार सुकून पाया।


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