लम्हा फोन कॉल के पांच मिनट का
लम्हा फोन कॉल के पांच मिनट का
यह किस्सा है कुछ प्यार का कुछ दर्द का।
फोन कॉल के पांच मिनट का।
ना उसने कुछ कहा ना मैंने कुछ कहा
ना उसने कुछ कहा ना मैंने कुछ कहा लेकिन बिन बोले दोनों ने सुन लिया।
गम तन्हाई का किस्सा दर्द का
और गुजर गया लम्हा फोन कॉल के पांच मिनट का।
लफ्ज़ भी थे वक्त भी था लफ्ज़ भी थे वक्त भी था फिर भी कुछ ना बोल पाए दोनों।
और गुजर गया लम्हा फोन कॉल के पांच मिनट का।
हजारों सवाल थे जब
हजारों सवाल थे जब क्यों किया कॉल?क्या बोलूं?कैसे बोलूं?
लेकिन जवाब बस एक था तब।
छोड़ो ना सब नहीं रह पाएंगे तेरे बिना और यह भी हम कह ना पाए यार।
और गुजर गया लम्हा फोन कॉल के पांच मिनट का।

