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mamta Shrimali

Abstract

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mamta Shrimali

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राष्ट्रीय महिला दिवस.

राष्ट्रीय महिला दिवस.

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 शुभकामनाये काश मैं दे पाऊँ तुम्हें इस दिन

 पर रोक लेते हैं मुझे तुम्हारी जिंदगी के वो हर दिन


रोकते हैं मुझे वो दिन जब दहेज के नाम पर

घर में कहीं तुम पे होता होगा अत्याचार

बिना किए कोई सोच विचार:


रोकते हैं मुझे वो दिन जब बेटा ना होने पर कोसा जाता है तुम्हें

अपनी ही औलाद को कहीं रास्ते पर तो कभी

अपनी कोख में ही मारने पर पर मजबूर किया जाता है तुम्हें

 क्यूँ की हक नहीं एक बेटी को जन्म देने का तुम्हें


रोकते हैं मुझे वो दिन जब कोई मर्द कहीं किसी औरत को

मार पीटकर दिखाता है अपनी मर्दानगी !

 फिर भी नहीं है उसकी आंखों में थोड़ी सी भी शर्मिंदगी


रोकते हैं मुझे वो दिन जब लगायी जाती हैं

तुम्हारी आजादी पर पाबंधिया

कर के तुम समाज के पिंजारे मैं कैद और

लगाके रिवाज और परंपरा की हथकड़ियां


ये कहकर तुम जात लड़की की हो

इस लिए हक नहीं है तुम्हें उड़ने का

ना आसमान की ऊंचाई को छूने का।


रोकते हैं मुझे वो दिन जब कोई प्यार के नाम तो

कभी मजबूरी का उठाकर फायदा और

कभी हवस से उतारता है है बड़ी ही बेरहमी से तुम्हारी इज्जत


फिर भी कई बार छूट जाते हैं ऐसे दरिन्दे

ऐसे ही या तो कुछ सालों की जेल से

और अगर कभी पकड़े जाये तो

 कानून करता है बली बाइज़्ज़त

क्यू की कामजोर हो तुम उसके बड़े नाम के आगे

सस्ती हैं उसके पैसे के आगे तुम्हारी इज्जत


 इन दिनों की वजह से नहीं दे पायेंगे

तुम्हें इस दिन की शुभकामना।

पर हो जाए तुम्हारा हर दिन खुशियां

भरा ऐसी करते हैं हम कामना।


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