लकीरें
लकीरें
हाथों की रंगत बताती है कहानी
कैसी है सामने वाले की जिंदगानी
मेहनत कश के छाले बता देते हैं साफ
कितना पसीना बहा उसका दिन-रात।
भाग्य का लेखा जोखा
कोई नहीं जानता दुनिया में
हाथों की लकीरों को अक्सर
लोग पढ़ लिया करते हैं।
जिन्हे विश्वास अपने हाथों पर होता
वह वक्त का इंतज़ार नहीं करते
बदल देते लकीरों को स्वयं ही जनाब
झूठी तारीफों के दम नहीं भरते ।
कर्मों का लेखा जोखा
उसका भाग्य कहलाता है
कर्मों के फल को यहीं
हर एक भोगकर जाता है ।
भाग्य अच्छा रहा तो कर्म अच्छे
बुरा रहा तो दोष भाग्य का
केवल कर्मठ इस दुनिया में
भाग्य को कभी दोष नहीं देते।
कर्मशील न झुका कभी
दुनिया को उसने झुकाया
आने वाली मुसीबत को
हँस कर गले लगाया है ।
हाथों को अगर निहारोगे
कुछ न कर पाओगो दोस्तों
उठो ,सत्कर्म करो ,आगे बढ़ो
भाग्य के खुद विधाता बनो ।