लहर की पराकाष्ठा
लहर की पराकाष्ठा
मैं हूँ लहर, अनंत सागर की,
नृत्य करती हूँ, चाँदनी रात में,
गुनगुनाती हूँ, तूफानों के साथ,
जीवन का संदेश देती हूँ हर पल।
उठो मेरे नाविक, डर मत तू,
मेरे साथ मिलकर पार कर तू,
यह तूफान, यह अंधेरा,
हौसले से हरा दे हर डर।
मैं हूँ ताकत, हूँ शक्ति तुम्हारी,
तुम्हारी हिम्मत हूँ मैं सच्ची,
पकड़ो मेरा हाथ, डूबो मत तुम,
मिलकर लिखें हम जीत की कहानी।
जीवन में आते हैं तूफान अनेक,
लेकिन हार मत मानो कभी,
लहरों की तरह बनो तुम भी,
चुनौतियों से टकराओ निर्भय।
मैं हूँ तुम्हारी उम्मीद, तुम्हारा भरोसा,
तुम्हारी सफलता का रास्ता,
चलो मिलकर लिखें नया इतिहास,
जहाँ हर पल हो बस खुशी का हासा।