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Aditya Vats

Children Stories Romance Fantasy

4  

Aditya Vats

Children Stories Romance Fantasy

महजबीन का दस्तूर

महजबीन का दस्तूर

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अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,

फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे।


ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,

अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।


इश्क़ की दहलीज़ पर चाँदनी सजी हो,

मोहब्बत का फूलबाग़ यहाँ खिला हो।


हर सांस गवाही दे रही है तेरी,

ज़ुबां की चुप्पी में बहुत कुछ भी है।


उर्दू की तालाफ़ुज़ में बसा है ज़माना,

हिंदी की मिठास में बहुत कुछ है।


मोहब्बत की लहरों में तैरता हूँ यहाँ,

ख्वाबों के परिंदों से आकर मिला हूँ।


हर आहट पे कहानी सुनाता हूँ मैं,

बातों के सितारों से जुदा नहीं हूँ।


दरिया हूँ, लहरों में बह जाऊँगा,

मौत से भी दोस्ती कर लाऊँगा।


मेरी रफ़्तार तेरे ख्वाबों को चूमेगी,

ज़िंदगी की छांव में घुलेगी खो जाएगी।


अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,

फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे।


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