मैं जब भी लिखता हूं
मैं जब भी लिखता हूं
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मैं जब भी लिखता हूँ,
बेशुमार लिखता हूँ।
कभी किसी की ख्वाहिश,
कभी इज़हार लिखता हूँ।
मैं नये सपनों का खुमार लिखता हूँ,
कभी मंज़िल, कभी रास्ते,
कभी इंतज़ार लिखता हूँ।
कभी अपनों में पराया,
कोई किरदार लिखता हूँ,
कभी आते जाते तुम्हें,
कभी प्यार लिखता हूँ।
कभी बिक जाते लोगों का,
नया व्यापार लिखता हूँ।
कभी मुट्ठी भर दुनिया,
कभी संसार लिखता हूँ।
