लफ़्ज़ों से न समझेगा मेरी बात कोई
लफ़्ज़ों से न समझेगा मेरी बात कोई
लफ़्ज़ों से न समझेगा मेरी बात कोई
समझे तो आवाज़ से समझे जज़्बात कोई।
न रहा जाएगा मुझे इस जहाँ में अब
खुदा है तो दिखा नयी कायनात कोई।
अब तक आरजू में बसा लम्हा न आया
कोई रास्ता दिखाये दिलाये निज़ात कोई।
अजनबी शहर की सड़कें अनोखी दास्ताँ
आकर बताये मुझे मेरे हालात कोई।
शिकस्त ए हयात मिली सो क़ैद हूँ मैं
अब ज़िन्दगी को आकर दे मात कोई।
खुली आँख तो ख्वाब पूरा होते रह गया
मिलने वाला था मुझसे कल रात कोई।