लेखक की लेखनी
लेखक की लेखनी
आप लिखते बहुत हैं
पढ़ते बहुत हैं
जब भी हम आपको
देखते हैं
कुछ ना कुछ
करते जरुर हैं !
ना आपकी कोई
कविता ही छपी
ना कोई लेख ही
सामने आया ,
भूल के यदि आपने
अपनी कृतियाँ भेजीं
कहीं पर
सदा आपको
सब ने नकारा !
उम्र की ढलानों से
लुढ़क ने वाले हैं ,
आखें कमजोर
हो गयीं हैं
फिर भी लिखना
आपकी फिदरत
हो गयी है !
आज कल आपके
लिखे को
कौन पढता है ?
बस आपके मन को
रखने के लिए
लाइक करता है !
इस उम्र में यदि
आपको "अर्बन नेक्सलाइट"
कहने लगे
देशद्रोह के इल्जाम
देके लोग आपको
पुकारने लगे !
फिर सारी उम्र
आपकी अँधेरे में
गुजर जाएगी
और आपकी रचनाएँ
रद्दी की टोकरी में
पड़ी रह जाएगी !
लंकेश,
दाभोलकर,
अभिजीत
को मिटने में
देर ना लगा
"खासोज्जी "को भी
टुकड़े -टुकड़े
करके तेजाब
में डाल दिया !
हमें आप पर भी
तरस आता है
इस तरह कोई
लिखकर जोखिम उठाता है ?
लेखक अपनी
मौनता को तोड़ते हुए
बस इतना ही कह दिया,
"यह लेखनी आज
भले कोई ना समझे
कल के लिए
धरोहर मैंने रख दिया !"