लड़की होति है अपनी ना की परायी
लड़की होति है अपनी ना की परायी
दुनिया की रीत है
परायी लड़की होती है परायी।
कभी दुनिया उसे ठुकराती है
तो कभी यह समाज
वो कुछ करे तो बन जाती है ज़ीरो
वहीं कोई लड़का करे तो
बन जाता है हीरो...
क्यूँ है यह भेदभाव
कब तक हम लड़कियों को
भोज मानते रहेगे।
कब तक हम लड़कियो को
पैदा करने वाली मशीन मानते रहेंगे
कब तक हम लड़कियों को
दहेज के नाम पर जलाते रहेंगे।
नई सोच अपनाओ
लड़की को पढ़ाओ और बढ़ाओ
दो उसका साथ देखो वो
तुमारे लिये चाँद भी तोड़ लाएगी।
नई सोच अपनाओ
लड़की होती है अपनी,
ना की परायी।।