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Prem Bajaj

Romance

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Prem Bajaj

Romance

लौट आओ

लौट आओ

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ये कौन आया है, जिसने मेरे दिल का किवाड़ खटखटाया है।

आज फिर से आहट सी हुई है यहाँ तो किसी को आने की इज़ाज़त ही नहीं है

क्योंकि यहाँ सिर्फ़ तुम्हारी यादें ही बसती हैं। 

इक वहम सा हुआ कहीं? तुम तो नहीं, नहीं...नहीं

तुम नहीं हो सकती,

तुम तो चली गई हो मुझे छोड़ कर

वो कसमें, वो वादे तोड़कर, क्यूँ चली गई तुम।  

लौट आओ,

मै राह तकता हूँ तुम्हारी... .लौट आओ।                 

तुमने वादा किया था मुझसे. . मुझे छोड़कर नहीं जाओगी,

तुम जानती थी ....मेरे जीवन के टिमटिमाते दिए की लौ हो तुम

मेरे गीत के बोल हो,  मेरे सँगीत की धुन हो , मेरी वीणा की तार हो तुम ।

हाँ , तुम जानती थी मेरी आशा हो तुम ..मेरी ही परिभाषा हो तुम.....

फिर क्यूँ छोड़ दिया मुझे यूँ मझदार में ,इस बेरहम सँसार में?

आ जाओ.. लौट आओ इक बार तुम ।

तुम ही मेरी सुबह हो , तुम ही शाम हो, इन लबों के लिए छलकता जाम हो

तुम हो तो मैं हूँ , तुम बिन मैं कहाँ हूँ.?

मेरी नींदों का ख़्वाब हो तुम,

मेरे धड़कते दिल की धड़कन हो तुम, 

मेरी नसों मे बहते लहू की धार हो तुम,

लौट आओ .....इक बार लौट आओ

तोड़ दो वो सारी रस्में... वो झुठे करार,

जो तुमने किसी से किए, तोड़ दो वो दुनियाँ के बन्धन ,

जो बाँधे है तुम्हें...... मै राह तकता हूँ तुम्हारी............ लौट आओ.....लौट आओ... लौट आओ.......



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