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Rajni Sharma

Abstract

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Rajni Sharma

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लाल बत्ती

लाल बत्ती

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बाती की लौ 

जब लाल हो गयी 

तो चाल दिवानी की 

मस्तानी हो गयी।

लाल रंग की परिभाषा 

खुद वर्ण ने है कही 

कभी प्रेम, कभी उत्सुकता 

क्रोध कभी, तो खतरा कभी है बनी।


लाल बत्ती है,एक निशानी 

रुको ठहरो, इंतजार करो

जब हो निर्देश तब चल पड़ो 

मत खेलो खुद से ओ ज़िन्दगानी।


कोटि-कोटि प्रणाम तुम्हें 

रफ्तार की तुम संगनी बनी 

जो किया उलंघन तुम्हारा किसी ने 

मुहँ की खानी है उसे पड़ी।


नियम, कानून हैं हमारे लिए 

तो क्यों न उस पर प्रतिबध्य रहें 

जीवन सार सफल है तब हमारा 

जब सही राह पर चल पड़ें।


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