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Nishi Bhatt

Romance

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Nishi Bhatt

Romance

लाजवाब !

लाजवाब !

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तुझे परमात्मा कहूँ , दिल कहूँ, फरिश्ता कहूँ या जान कहूँ?

जो भी कहूँ लाजवाब कहूँ !


तेरे जैसा न कोई था, न है, और न होगा,

मेरी हर एक मुस्कान में बस नाम उसका है ,

ये तन, मन, ये रूह सब उसका है !


उसका प्यार तो बहती नदी सा है,

बस बहता ही जाता है !


कितने भी कांटें आए, वो बस खिलता ही जाता है ,

हर एक सांस में बस नाम उसका है ।


वो नहीं , तो ये ज़िंदगी नहीं,

और है तो ज़िंदगी हसीं ।


जो भी आता है, दहलीज़ पर उसके,

मुस्कुराकर वो लौटता है ।


न खुद मायूस होता है,

न किसी को होने देता है !

अब क्या कहूँ तुझे ?


बस जो भी कहूँ , लाजवाब कहूँ!


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