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Abhishek Singh

Romance

2  

Abhishek Singh

Romance

क्यूँ !

क्यूँ !

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क्यूँ न लिख लूँ ,

मैं तुझे

क्यूँ न पढ़ लूँ ,

मैं ।

क्यूँ न समझूँ ,

मैं तुझे

क्यूँ न जानूँ,

मैं। 

इतनी भी क्या,

मुश्किल

जो न समझ सकूँ,

मैं। 

इतनी भी क्या,

मुश्किल

जो न पढ़ सकूँ तुझे,

मैं।

इतनी भी क्या,

मुश्किल

जो न लिख सकूँ तुझे,

मैं।

तू चन्दा सी है,

उज्जवल

तू जल सी है,

निर्मल

तू ख़ुद में ही है ,

अम्बर

तू ख़ुद से ही,

समंदर

तू बहती मन की,

धारा

तू धड़कन का,

सहारा


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