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Mansi Thakur

Tragedy Inspirational

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Mansi Thakur

Tragedy Inspirational

क्यूँ होता हैं बेटियों पर अत्याचार..

क्यूँ होता हैं बेटियों पर अत्याचार..

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क्यूँ होता है बेटियों पर अत्याचार.. 


हमेशा से मेरे मन में एक बात खटकती है,

क्यों लड़कियाँ इस समाज के अत्याचार सहती हैं। 


क्यों समाज वाले, 

कई सवाल-जवाब करते है, 

बेटी पैदा होने पर। 

और खुदको नसीब वाले समझते, है बेटा पैदा होने पर। 


आखिर क्यों? 

इस समाज को कोख़ में पली, 

बेटी की चीखें सुनाई नहीं देती, 

क्यों उन्हें उसकी पीड़ा नज़र नहीं आती, 

जो अपनी माँ से चीख-चीख कर कहती है। 

की माँ मुझे मत मारो मुझे इस दुनिया में आना है, 

मुझे बढ़ना हैं, 

मुझे पढ़ना हैं, 

मुझे इस देश का नाम रोशन करना हैं।


आखिर इस समाज और समाज की संकीर्ण मानसिकता

और इसी मानसिकता से शिकार यहाँ के लोग। 

इन्ही लोगों की वजह से आज दुनिया में बेटियों को कोख़ में ही मार डाला जाता है। 


क्यों यह समाज वाले, 

बेटी के आने पर मातम मनाते हैं, 

और बेटों के आने पर घी के दिये जलाते हैं। 

बेटियों को छेड़ा जाता हैं भरे बाजारों में, 

हर दिन बेटियां मारी जाती हैं हज़ारों में। 


क्यों यह समाज वाले लोग, 

कर्ज लेते हैं बेटों के पढाई के लिए, 

और बेटियों की विदाई के लिए।


 घर को रोशन करती हैं बेटियां, 

बेटे आज है तो आने वाला कल होती है बेटियां। 

जरूरी नहीं की रोशनी चिरागों से ही हो, 

बेटियां भी घर में उजाला करती हैं। 


आखिर क्यों उसे बेइज़्ज़ती के डर से चुप रहने देते हैं, 

क्यों उसे चुप-चाप दर्द सहने देते हैं। 

क्यों नहीं उठाते बेटियों के इंसाफ़ के लिए आवाज़, 

जो दिन-रात आँखों में बेबसी के आँसू लेकर घूमती हैं। 


क्यों लड़को की घूरती नजरों के कारण, 

लड़कियों को कैद कर देते हैं चार दीवारों के घेरे में, 

डाकू,चोरों,बटमारों के डेरे में।


क्यों नारी किस्मत की मारी, 

क्यों पड़ती कमजोर लाचार। 

कोटि हो रहे अत्याचार, 

उठा हाथ में अब हथियार। 


बेटियां तो हैं ईश्वर का उपहार, 

मत छीनो इनसे जीने के अधिकार।। 

रूढ़िवादी विचारों को अब भूल, 

सोच बदल बेटियों को कर कबूल।।



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