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Khushi Kaul

Tragedy Others

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Khushi Kaul

Tragedy Others

क्यों परेशान सा हर इंसान है ?

क्यों परेशान सा हर इंसान है ?

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क्या है तेरा रूप? क्या है तेरा नाम ? 

कहाँ पर तू रहता? क्या है तेरा काम ? 

ये दुनिया तूने बनाई क्यों ? रूहें इसमें बसाई क्यों ?

ये मोह के धागे, ये लालच की जंजीरें, 

ये उलझे से रिश्ते, ये शिकन की लकीरे,

ये धागे क्यों न टूटे? ये लालच क्यों न छूटे?

ये रिश्ते टूटे फूटे, क्यों रहते, जैसे घुटे घुटे ?

दुनिया ढूंढे डगर डगर, फिर भी अधूरा क्यों है सफर? 

मन्दिर मस्जिद शहर शहर, फिर क्यों रूठा हर पहर ? 

अगर तुम सत्य हो तो, हर तरफ क्यों झूठ का व्यापार है? 

तुम शिव हो तो, क्यों असार सा ये संसार है?

 इतना चुप कैसे रहते हो ? पता नहीं यह सब कैसे सहते हो? 

क्या यह था तुम्हारा सपना ? जहाँ हर कोई पराया, क्यों नहीं कोई अपना ?

कहते तुझे भगवान है, कहाँ है तू ? अब तो आजा!

छुपा है क्यूं ? आकर यह उलझन सुलझा जा। 

दुनिया कहती तू व्याप्त हर जगह, पर दिखता नहीं क्या है वजह ?

पर तू तो भगवान है, सुना है बड़ा दयावान है !

फिर परेशान हैरान सा, यहाँ क्यों हर इंसान है ?


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