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Khushi Kaul

Inspirational Others

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स्वतंत्रता की ओर: भारत की यात्रा

स्वतंत्रता की ओर: भारत की यात्रा

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भारत की धरती पर उगी वीरता, स्वतंत्रता की दिशा में बढ़ी यात्रा।

कांपती थी ब्रिटिश शासन की बीमा, लेकिन जनता थी अपने स्वप्नों में बसी।

रणनीति सुनी गांधी जी ने, अहिंसा का पथ चुना और मिटाया आत्मा का दुर्भाग्य।

नमक सत्याग्रह से ब्रिटिश डरे, जल दिया चक्रवर्ती का सपना,

सपनों की माला रची थी जो किसी ने नहीं माना।

भारतीयों ने उठाया संघर्ष का आलम, छोड़ दिया आराम का पलंग,

बसे थे सपनों के सफर में उनके कदम।

असहमति की आवाज़ को कर दिया महत्व,

दागे गए खून से लाल सफेद को रंगत।

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने दी शहादत का परिचय,

वीरों की आत्मा ने किया अंधकार का संघर्ष, जिन्दा किया स्वतंत्रता की ओर।

लाल किले पर हर बार फहराई तिरंगा, आजादी की ध्वजा को फहराते वीर योद्धा।

नमक सत्याग्रह से भीख मांगने वाले ने ब्रिटिश का किया मुंह बंद,

नमक के बिना खाने से हुआ था ब्रिटिश का शासन थम।

स्वतंत्रता संग्राम ने बदला इतिहास, जवानों ने दिखाई वीरता,

दिल में बसाई थी अपने देश की प्यार की भावना।

1947 में आया दिन अद्भुत, जब झंडा लहराया ऊँचा,

नेहरू की आवाज़ में गूंजी "त्र्यंबकम् यजामहे" की मंत्रमुग्ध ध्वनि।

आजादी की प्राप्ति की ख़ुशी थी अपार, लेकिन साथ ही आई विभाजन की चिंता,

देश के विकास को बनाती थी बाधा बहुत सारी।

धीरे-धीरे बढ़ती गई भारत की प्रगति की राह, विज्ञान,

प्रौद्योगिकी और कला में जगमग बढ़ी रौशनी की छाया।

हम गर्व महसूस करते हैं उन वीरों पर, जिन्होंने दिल दिया देश के लिए,

छोड़ा खुद को पीछे, लड़ा देश के लिए संघर्ष बेहद कठिन पर।

भारत की यात्रा स्वतंत्रता की ओर, थमी नहीं, बढ़ती जाती है जोर-शोर।

आज भी बसता है उसी आत्मा में वीरता, जो कहता है - "भारत माता की जय!"


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