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डॉ. रंजना वर्मा

Abstract

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डॉ. रंजना वर्मा

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क्या यही प्यार है

क्या यही प्यार है

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प्यार

ईश्वर का दिया उपहार

अनुपम

सुखद एहसास

जो रहे सदैव


दिल के आस पास

भर दे हृदय को

उमंगों से

रंजित करे मानस नभ

विविध रंगों से


एक अनुभूति

जैसे शीतल पवन

सहला जाये

ग्रीष्म से

उत्तप्त तन को

अनन्त गिरि से फूटता


रश्मि निर्झर

बहे झर झर

प्रणय गंगा

आप्लावित करती

जीवन की 

शुष्क मरुभूमि


भोर की किरण

जो खिला जाये

अर्द्ध मुकुलित 

तन मन

हाँ

यही प्यार है।


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