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Gaurav Chhabra

Romance

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Gaurav Chhabra

Romance

क्या रूमानियत-क्या मदहोशी

क्या रूमानियत-क्या मदहोशी

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क्या रूमानियत है ? क्या मदहोशी है

तेरे इश्क़ में कितनी बेहोशी हैं

 

हम डूबे भी थे हम तैरे भी थे

बे मौसम बादल बन बरसे भी थे 

दिल की ज़मीन गीली-गीली सी है

क्या रूमानियत है? क्या मदहोशी है

तेरे इश्क़ में कितनी बेहोशी हैं

 

हम बेसुध भी थे हम बेपरवाह भी थे

बिन नशे के नशे में खोये भी थे 

दिल की ज़बान दबी-दबी सी है

क्या रूमानियत है ? क्या मदहोशी है

तेरे इश्क़ में कितनी बेहोशी हैं

 

हम ख़ुश भी थे हम उदास भी थे

इंतज़ार की धुप में सोये भी थे 

दिल की कसक अधूरी-अधूरी सी है

क्या रूमानियत है? क्या मदहोशी है

तेरे इश्क़ में कितनी बेहोशी हैं।


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