क्या, कहां, क्यों है प्रेम
क्या, कहां, क्यों है प्रेम
क्या है प्रेम?
भ्रम, जरुरत या एहसास (भाव)
गलत लोगों से हो तो भ्रम।
अकेलेपन में हो तो जरूरत।
रिश्तों में हो तो एहसास।
क्या है प्रेम
ये कभी सोचा नहीं।
कहां है प्रेम?
रिश्तों में, तुझ में, या फिर मुझ में
रिश्तों में दिखता नहीं।
तुझ में दिखाई देता नहीं।
मुझ में कभी देखा नहीं।
कहां है प्रेम
ये कभी ढूंढा नहीं।
क्यों है प्रेम?
दूनिया के लिए, तेरे लिए, या फिर मेरे लिए
दुनिया को बोल दूं।
तुझे दिखा दूं।
मुझे पता नहीं।
क्यों है प्रेम
ये कभी जाना नहीं।