क्या हुआ ?
क्या हुआ ?
कई बहानों से
कई बार
कई दरवाजों पर
दस्तक दी
तो एक दो बार
पूछा किसी ने
क्या हुआ ?
बड़ा मार्मिक प्रश्न है
क्या हुआ ?
या तो कोई
पूछने वाला ही
नहीं होता या
जानने के लिए
नहीं पूछता।
कोई ना भी पूछे
तो क्या थमता है ?
अकेले दुकेले
जैसे भी बने
जीना तो पड़ता है।
तो क्यों ना
शान से जिओ ?
एकाकी
सूर्य बन कर उगो।
सूर्य नहीं तो
दीया बन कर जलो।
अपने साथी आप बनो
अपना पथ आलोकित करो।
और किसी को अकेला देखो,
तो तुम ही पूछ लो
क्या हुआ ?
