क्या चाहिए जिंदगी ?
क्या चाहिए जिंदगी ?
मैंने पूछा था एक दिन, तुझे क्या चाहिए जिंदगी ?
अपनी इरादा छुपाकर, बस मुस्कुराया जिंदगी।
मौत से उधार लिया हुआ कुछ मोहलत है जिंदगी
फिर भी अकड़ दिखाके हमें छल रही है जिंदगी।
कभी पथरीली राहें तो कभी तूफान की तांडव
अंधेरी सहर में रोशनी की झलक है जिंदगी।
मेरा भावनाओँ को रोक कर फुसफुसाया जिंदगी
मेरी मुस्कुराहट और चलते रहना बस यही चाहती है जिंदगी।