कविताओं में तितली का आना..
कविताओं में तितली का आना..
मेरी कविताओं में
कहीं न कहीं
इतराती फिरती है
एक पीली तितली,
शायद कभी न कभी
मचल उठे कोई बालक
और पीछा करते हुए
पहुंच जाए गुलमोहर के जंगलों में !!
यही तो चाहती हूं मैं
कि प्रगाढ़ होते रहें संबंध
ऐसे ही
कविता, तितली, पेड़ों
और
मनुष्यों में ,
तभी ही फैलेगी हरियाली
धरती और कविताओं में !!
