कविता
कविता
कविता
यथार्थ की तस्वीर भर नहीं
यथार्थ भी है।
यानि जो वर्तमान है,
और वर्तमान निर्मित हो रहा है
और इस निर्मिति के
आस पास कविता है
जाने कितने विचार हैं उसमें
जाने कितने लोग हैं उसमें
जाने कितने राज हैं उसमें
जाने कितने संस्कार हैं उसमें
जाने कैसा भविष्य उसमें
पर कविता चल रही जीवन की
तरह
और उसकी यही गतिशीलता
उसकी सार्थकता है
क्योंकि जीवन प्रभावी है
कविता पर
आमतौर पर तो जीवन ही
प्रभावित होता है कविता से
पर इसके ठीक उलट भी
कविता है
अपने सुंदर रूप में।
अर्थात
कविता ही जीवन है।
