कविता
कविता
वीर सपूतों की गाथाएं
हमने तुम्हें सुनाई है
बैरी को जिसने सीमा पर
जमकर धूल चटाई है
खड़ा हुआ सरहद पर प्रहरी
आन बान की खातिर
उसको यह मालूम कि मेरा
दुश्मन भी है शातिर
जलियांवाला कांड हुआ
जिसको सीने पर झेला था
दुश्मन की ताकत को हमने
तलवारों से तोला था
सीने पर बन्दूक अड़ा
बैरी ..को धूल चटाई है
वीर सपूतों की गाथाएं
हमने तुम्हें सुनाई है
मातृभूमि की आजादी पर
कितने वीर शहीद हुए
देश प्रेम में प्राण लुटाकर
कितने यहाँ फ़क़ीर हुए
भगतसिंह आजाद उधमसिंह
ने दुश्मन को ठोका था
बिस्मिल और अशफ़ाक खान
ने अंग्रेजों को रोका था
दन दन दन बंदूक चलाकर
दुश्मन फ़ौज मिटाई है
वीर
सपूतों की गाथाएं
हमने तुम्हें सुनाई है
गांधी सुभाष और नेहरू के
सपनों का देश बना भारत
इंदिरा ने रणचंडी बनकर
पावन कर दी जिसकी मूरत
उस लोह पुरुष ने राष्ट्रवाद के
सपने को साकार किया
वीर जवानों के साहस की
शौर्य ध्वजा लहराई है
वीर सपूतों की गाथाएं
हमने तुम्हें सुनाई है
कितने सैनिक लड़ते लड़ते
सीमा पर प्राण लुटा बैठे
पर राष्ट्र प्रेम की वेदी पर
झुकने न दिया तिरंगे को
गजनी को पृथ्वी से तोड़ा
सीमा पर दुश्मन को रोका
दहल गया मुम्बई पर हमने
करनी का फल चखा दिया
किसके हैं नापाक इरादे
विश्व राष्ट्र को बता दिया
ध्वस्त किए आतंकी केम्प
सीमा पर धाक जमाई है
वीर सपूतों की गाथाएं
हमने तुम्हें सुनाई है ।