कविता वसंत में खिला है गुलाब
कविता वसंत में खिला है गुलाब
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वसंत में खिला है गुलाब
मेरे लिये लाये हैं जनाब
कांटे नहीं ये है नायाब
मेरे पिया की है ये सौगात
वसंत में खिला है गुलाब…..
मैं तो मालिन तेरे आंगन की रे
बिन तेरे नहीं है गुज़ारा
प्रीत तुझसे लगी मेरे मन की
जैसे वसंत का है बागबान सारा
वसंत में खिला है गुलाब…
मेरे पिया को लगी वसंती मौज
लाये मेरे लिये गुलाबों का वो हार
कांटों की न फिक्र अब करूँ
उम्र भर निहारेंगे चितचोर
गुलाब महकेंगे करेंगे शोर
वसंत में खिला है गुलाब….
गुलाब मेरे मन की
गुलाबी खुशियां पल भर की
सहेजे यादें तेरे दामन की
रहना साथ साथी बालम जी
तुमसे लागी है प्रीत मेरे मन की
वसंती मन है क्योंकि…..
वसंत में खिला है गुलाब….