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Lakshminarayan thakur

Fantasy

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Lakshminarayan thakur

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कविता- रातों को अक्सर जागता हूँ

कविता- रातों को अक्सर जागता हूँ

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रातों को अक्सर जागता हूं ,जिज्ञासा मुझे जगाती है 

बस कलम के पथ पर लिखने को, एक तर्क मुझे समझाती है।


करता प्रणाम मां सरस्वती, जिभ्या गायत्री मां आती है करता प्रणाम कर श्री गणेश,

फिर विधना मुझे बताती है। 


फिर लिए कलम मध्यरात्रि समय ,कुछ टूटा फूटा लिखता हूं

बंद नेत्र कर आत्म चिंतन, में जिज्ञासा का नित करता हूं।


मेरे अंतर्मन की दुविधा, फिर सुविधा सी बन जाती है

जैसे कालिदास पर मां काली, प्रसन्न फिर हो जाती है।


बस कुछ क्षण का ऐसा दर्शन, जिज्ञासा देवी का देखा है

निर्मल मन तन मन से एक स्वप्न, प्रत्यक्ष सा देखा है।


संभव सब कुछ जीवन में, बस मार्ग दिशा से भटका है

बिना गुरु के एकलव्य, शिक्षा को जैसे तरसा हैं।



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